ज़िक्र तेरा हिंदी शायरी - Zikr Tera Hindi Shayari

जब कहीं हो जिक्र तेरा, मेरे अश्क चले आते हैं आँखों में। सुनते रहने को करता मेरा मन, नाम हो तेरा जिन बातों में।

करार पाए ना दिल मेरा, जब तलक किसी किस्से में तेरा जिक्र ना हो। भले भूल गया तू मुझे, मेरा पल भी ना गुजरा, जिसमे तेरी फ़िक्र ना हो।

तुझे मोहब्बत नहीं तो क्या, मुझे तो आज भी है तेरा अरमान। जाने क्यों बिन तेरे जिक्र के पूरी होती ना मेरी कोई दास्तान।

चाहा तो बहुत के तुझे भूला दू, फिर भी जिक्र तेरा हो ही जाता है। खफा तो हैं तुमसे बहुत, मगर बिन तेरे दिल करार नहीं पाता है।

महफिले सजी तो बहुत, मगर जिसमे तेरा जिक्र नहीं वो किस्सा किस काम का। करेंगे भी क्या सरीख होके किसी मयखाने में, मुझे तो शुरुर चढ़ा है तेरे नाम का।

जब जब हुआ है जिक्र तेरा, आँख ही क्या मेरा दिल भी रोया है। बरसों गुजरे मुस्कुराए, भूल गए मुस्कुराना जब से तुम्हे खोया है।

तुम्हे तो भा गए दरमियाँ फासले, मुझे रुला देता है जिक्र तेरा। मुश्किल हो रहा है तन्हां जीना, जब से खोने लगा है सब्र मेरा।

कभी आके देख गली मोहल्ले मेरी, होता है बेवफाई-ए-जिक्र तेरा। तुझसे वफ़ा हो ना सकी, आज भी करता है तेरी दिल फ़िक्र मेरा।