Table of Contents
raksha bandhan wishes for brother- भाई बहन का नटखट सा
भाई बहन का नटखट सा होता है प्यार, एक दूजे को सताते हैं बार बार।
चाहे जितने हो फासले,सारे गीले शिकवे मिटा देता है राखी का त्यौहार।
Brother and sister’s love is like naughty, they harass each other again and again.
No matter how many distances, the festival of Rakhi removes all the wet grievances.
raksha bandhan wishes for brother – लड़ती थी वो झगड़ती थी,
लड़ती थी वो झगड़ती थी, रूठती थी वो ना मानती थी।
मगर मेरी बहना देख मेरी उदासी मोम सी पिघलती थी।
She used to fight, she used to quarrel, she used to get angry, she did not believe.
But seeing my flow, my sadness melted like wax.
raksha bandhan wishes for brother – बचपन को संग संग जीया,
बचपन को संग संग जीया, बचपन गया और दरमियाँ फासले बढ़े।
फिर भी प्यार ना कम हुआ हमारा, के हम एक माँ की कोख में पले।
Childhood was lived together, childhood went and the distance between them increased.
Yet our love did not diminish, that we grew up in a mother’s womb.
raksha bandhan wishes for brother – उसे देखे बरसों गुजर जाते हैं,
उसे देखे बरसों गुजर जाते हैं, मगर उसकी सूरत आँखों में रहती है।
मेरे भाई से बढ़कर ना कोई दूजा इस जहान में, जब वो ये कहती है।
Years pass by seeing him, but his face remains in his eyes.
There is no other person in this world than my brother, when she says this.
raksha bandhan wishes for brother – खिला खिला चेहरा उसका,
खिला खिला चेहरा उसका, दुआ दिल की यूही निखरता रहे।
मुस्कुराये मेरी बहना, उसके आँचल में सुख चैन पलता रहे।
His face is feeding, May the blessings of the heart continue to shine.
Smile my sister, May happiness keep growing in her lap.
raksha bandhan wishes for brother – रक्षा बंधन के त्यौहार की विचित्र कहानियाँ।
raksha bandhan wishes for brother in hindi
कहा जाता है की रक्षा बंधन की शुरुआत सगे भाई बहनों ने नहीं की थी, महाभारत की माने तो रक्षा बंधन की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण और द्रोपती ने की थी। कहानी कुछ ऐसे घटी युधिष्ठर जब इंदरप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे, उस यज्ञ में भगवान श्री कृष्ण और शिशुपाल भी मौजूद थे, हुआ यू के शिशुपाल ने भगवान श्री कृष्ण का अपमान किया, श्री कृष्ण को क्रोध आया और भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र की सहायता से शिशुपाल का वध कर दिया उसी दोहरान सुदर्शन चक्र वापसी में भगवान श्री कृष्ण की छोटी अंगुली में लग गया, जिससे भगवान श्री कृष्ण की अंगुली से लहू बहने लगा, तो वहां मौजूद द्रोपती ने अपनी साड़ी का पल्लू भगवान श्री कृष्ण की अंगुली के बांध दिया, तब श्री कृष्ण ने द्रोपती को वचन दिया की आपके एक एक धागे का क़र्ज़ चुकाऊंगा
It is said that Raksha Bandhan was not started by real brothers and sisters, if Mahabharata is to be believed, Raksha Bandhan was started by Lord Shri Krishna and Draupati. The story happened in such a way that when Yudhishthira was performing Rajasuya Yagya in Indraprastha, Lord Shri Krishna and Shishupala were also present in that Yagya, Yu K Shishupala insulted Lord Shri Krishna, Shri Krishna got angry and Lord Shri Krishna gave Sudarshan Chakra With the help of Shishupala was killed, in the same repetition Sudarshan Chakra returned to the little finger of Lord Shri Krishna, due to which blood started flowing from the finger of Lord Shri Krishna, then Draupati present there pallu her sari with the finger of Lord Shri Krishna. tied, then Shri Krishna promised Draupati that I will repay the debt of each thread of yours.
फिर अध्याय दूसरा शुरू हुआ जब कौरवो ने द्रोपती का चिर हरण करने का प्रयास किया तो भगवान श्री कृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रोपती की लाज बचाई और कहा जाता है की जिस दिन द्रोपती ने भगवान श्री कृष्ण की अंगुली में साड़ी का पल्लू बंधा था उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तब से रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है।
Then the second chapter began, when Kauravas tried to abduct Draupati, Lord Shri Krishna saved the shame of Draupati by raging and it is said that the day Draupati tied the pallu of the sari in the finger of Lord Shri Krishna, that day Shravan It was the full moon of the month. Since then the festival of Raksha Bandhan is celebrated.
अगर इतिहास की माने तो रानी कर्णावती ने रक्षा बंधन की शुरुआत की थी। मध्यकालीन युग में राजपूत और मुसलमानों के बिच युद्ध चल रहा था, उसी दोहरान अपनी और अपनी प्रजा की रखा के लिए चितोड़ की रानी कर्णावती ने सम्राट हुमायू को राखी भेज की मदद की गुहार लगाई थी, तब सम्राट हुमायूँ ने रानी कर्णावती की रक्षा कर रानी कर्णावती को बहन का दर्जा दे कर रक्षा बंधन को निभाया था। ये थी रक्षा बंधन की विचित्र कहानियाँ।
If history is to be believed, then Raksha Bandhan was started by Rani Karnavati. In the medieval era, there was a war going on between the Rajputs and the Muslims, in order to protect herself and her subjects, Queen Karnavati of Chittor had requested for the help of sending Rakhi to Emperor Humayun, then Emperor Humayun protected Queen Karnavati. Raksha Bandhan was performed by giving Karnavati the status of sister. These were the strange stories of Raksha Bandhan.