तुझसे जुदा क्या हुए, कोई ख़ुशी राश ना आ रही। दिल का टूटना, और तेरी जुदाई सही ना जा रही।

जब जब सोचा कर लू फिर मोहब्बत, पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है। वो मुस्कुराके दिल के टुकड़े कर गए हजार, इश्क़ का वो इनाम याद आता है। मेरी ज़िंदगी में करके अँधेरा, वो बेहया किसी और ज़िंदगी का नूर बन गए। जब भी जिक्र किसी बेवफा इश्क़ का हो, हर बार मुझे वो नाम याद आता है।

यादें भी कितनी बेरहम होती हैं, जिस दिल में रहती हैं, उसी को तड़पाती हैं। माना के खुदा ने प्यार बक्सा बहुत मुझे, मगर यादों में खुशियाँ ना भाती हैं।

यादें भी कितनी बेरहम होती हैं, जिस दिल में रहती हैं, उसी को तड़पाती हैं। माना के खुदा ने प्यार बक्सा बहुत मुझे, मगर यादों में खुशियाँ ना भाती हैं।

तुझसे जुदा क्या हुए, कोई ख़ुशी राश ना आ रही। दिल का टूटना, और तेरी जुदाई सही ना जा रही।

यादें भी कितनी बेरहम होती हैं, जिस दिल में रहती हैं, उसी को तड़पाती हैं। माना के खुदा ने प्यार बक्सा बहुत मुझे, मगर यादों में खुशियाँ ना भाती हैं।

बेवफाई तेरी और मोहब्बत मेरी थी, और आज मेरी मौत मेरे इश्क़ की निशानी है। मैं उदास इसलिए नहीं के मेरी मौत आई है, मेरी उदासी  तेरी ख़ामोशी की कहानी है।