जब जब सोचा कर लू फिर मोहब्बत, पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
वो मुस्कुराके दिल के टुकड़े कर गए हजार, इश्क़ का वो इनाम याद आता है।
मेरी ज़िंदगी में करके अँधेरा, वो बेहया किसी और ज़िंदगी का नूर बन गए।
जब भी जिक्र किसी बेवफा इश्क़ का हो, हर बार मुझे वो नाम याद आता है।