Ghalib Shayari: Ye Na Thi Hamari Kismat “ये ना थी हमारी किस्मत”

ये ना थी हमारी किस्मत के विसाल-ए-यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता। - Mirza Ghalib

इश्क़ ने ग़ालिब निकाम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के। - Mirza Ghalib

उम्र भर ग़म नहीं ऐसे उठाया, क़ातिल, अपना ख़ाम नहीं सामने आया। - Mirza Ghalib

रख्त उल्फत का ज़मीं में ग़ुलाम तो सही, सर्कार ने ज़माने को चूम रखा है। - Mirza Ghalib

दर्द मिताने को ज़माने में बहुत हैं आशिक़, मग़र वो कमबख़्त क़त्ल करने को ग़ालिब ज़माने में बहुत हैं। - Mirza Ghalib

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले। - Mirza Ghalib

नाम लिया तेरा दिल से बस एक बार ही जाता हूँ, इतना दर्द मँज़ूर हूँ, बस एक बार ही जाता हूँ। - Mirza Ghalib

हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है, तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-ग़ज़ल क्या है। - Mirza Ghalib