Garibi Par Shayari In Hindi Poverty Status Kavita (Poverty)

खुद के लिए वक़्त निकलू, उस आश में हू। कितने वक्त से उस वक्त की तलाश में हूं।

परिवार चलता नहीं है मेरे कुआ खोदने से, फिर मैं किसी फुरसत की तलाश में हूं।

दो वक़्त की रोटी कमाने के लिए, मैं नगे पैर दूर तलक चलता हूं।

पसीने से लथपथ रहती है काया, मैं गिर गिर के सम्भलता हूं।

मेरे बच्चो के तन पर हो कपड़ा, इस चाह में परवाह नहीं किसी लिबाश में हूं।

नेकी हो ईमानदारी हो, पर मुझ सी ना लाचारी हो।

मेरे बच्चों के नसीब में, ना मुफलिसी की बीमारी हो।

ना दौलत ना शौहरत, मेरे बच्चे पढ़ लिख जाये, मैं उस हसरत की तलाश में हूं।