Happy Janmashtami | Janmashtami Image | Janmashtami Wishes in Hindi and English

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    janmashtami

    Happy Janmashtami – तुझसा भला कौन हमें जाने,

    janmashtami

    तुझसा भला कौन हमें जाने, हम श्याम तेरे दीवाने। 

    तुझसे वज़ूद मेरा, तू पहचाने तो सारा जग पहचाने। 

    janmashtami

    Who knows us better than you, we are crazy about you.

    My existence from you, if you recognize me, then the whole world will know.

    Happy Janmashtami – कर ना सकू राधा सी भक्ति

    janmashtami

    कर ना सकू राधा सी भक्ति, दिल मेरा चाहे राधा बन मैं जाऊ। 

    होठों पर हंसी या दे आँखों में आंसू, इश्क़ मेरा कान्हा को पाऊ। 

    मेरा कान्हा मुरली बजाये, और मैं रोते रोते मुस्कुरा जाऊ। 

    मेरी आरजू तू सुन ले श्याम प्यारे, के हर हाल मैं तुझे भाऊ। 

    janmashtami

    I can’t do Radha like devotion, I want my heart to become Radha.

    Laugh on the lips or give tears in the eyes, I will find love for my Kanha.

    Let my ear play the murli, and I smile with tears in tears.

    You listen to me dear Shyam dear, I love you in every situation.

    Happy Janmashtami – मैं श्याम तेरी दीवानी,

    janmashtami

    मैं श्याम तेरी दीवानी, राधा मैं बन जाऊ। 

    माक्खन तू चुराये, आँचल में तुझे छुपाऊ। 

    janmashtami

    I will become Shyam Teri Deewani, Radha.

    You steal butter, I will hide you in the lap.

    janmashtami के पीछे क्या कहानी ?

    भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है, 

    The birthday of Lord Krishna is celebrated as Janmashtami.

    श्री कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी क्यों कहते हैं? 

    Why is the birthday of Shri Krishna called Janmashtami?

    जन्माष्टमी शब्द को दो शब्दों में लिखा जाये तो जन्म और अष्टमी या यू कहे जन्म + अष्टमी = जन्माष्टमी 

    If the word Janmashtami is written in two words, then Janma and Ashtami or u say Janam + Ashtami = Janmashtami

    अब जानते हैं हैं की हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी को इतना धूम धाम से क्यों मनाया जाता है।

    द्वापर युग में एक मथुरा नामक नगर था, मथुरा के राजा थे उग्रसेन, उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी, पुत्र का नाम कंश था और पुत्री का नाम देवकी था, कंश छल कपट से राजा उग्रसेन के सिंहासन पर बैठ गया, मगर कंश अपनी बहन देवकी को अत्यधिक प्रेम करता था, देवकी भाई कंश को बहुत प्रिय थी, कंश के मित्र थे महाराज वासुदेव, जिनका देवकी से विवाह हुआ, कंश प्रजा के लिए अच्छा राजा नहीं थी, मगर देवकी के लिए एक अच्छा भाई था, एक दिन राजा कंश राज्य में भर्मण कर रहा था, तभी आकशवाणी हुई की वासुदेव और देवकी का आठवां पुत्र कंश का वध करेगा, ये सुन के कंश बहुत क्रोधित हुए, और कंश ने अपने मित्र वासुदेव को मरने की सोची, तो देवकी ने कहा की भाई आप वासुदेव को मत मारो, मैं आपको मेरे सारे पुत्र दे दूंगी, तब कंश ने वासुदेव और देवकी को कारागृह में बंदी बना लिया, और वासुदेव देवकी के जन्मे 7 पुत्रो का वध कर दिया, फिर एक दिन भगवान विष्णु ने वासुदेव और देवकी को दर्शन दिए, और बताया की आप अपने आठवें पुत्र को गोकुल में नन्द को दे आना और उनके जन्मी पुत्री आप ले आना, ये कहके भगवान विष्णु अंतरध्यान हो गए। 

    janmashtami

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    Now we know why Janmashtami is celebrated with so much pomp in Hinduism.

    In Dwapar Yuga there was a city named Mathura, Ugrasen was the king of Mathura, he had a son and a daughter, the son’s name was Kansh and the daughter’s name was Devaki, Kansh sat on the throne of King Ugrasen by deceit, but Kansh his Sister loved Devaki very much, Devaki was very dear to brother Kansh, Kansh’s friend was Maharaj Vasudev, who was married to Devaki, Kansh was not a good king for the subjects, but was a good brother to Devaki, one day the king Kansh was roaming in the kingdom, then there was an announcement that the eighth son of Vasudev and Devaki would kill Kansh, Kansh was very angry on hearing this, and Kansh thought of killing his friend Vasudev, then Devaki said that brother you Vasudev Don’t kill me, I will give you all my sons, then Kansh took Vasudev and Devaki captive in the prison, and Vasudev killed the 7 sons born of Devaki, then one day Lord Vishnu appeared to Vasudev and Devaki, And told that by saying that you should give your eighth son to Nand in Gokul and bring his born daughter, Lord Vishnu became meditative after saying this.

    अब शुरू होता है कहानी का दूसरा अध्याय। 

    भगवान विष्णु दशवंतार का आठवां अवतार श्री कृष्ण के रूप में देवकी की कोख से जन्म लेते हैं, उस दिन भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्ट्मी तिथि थी, आधी रात बीत चुकी थी, वासुदेव की बेड़िया सवतः ही खुल जाती हैं, कारागार के दरवाजे खुल जाते हैं, कंश के सारे सैनिक गहरी निंद्रा में सो जाते हैं, वासुदेव कृष्ण को टोकरी में रख के गोकुल की तरफ बढ़ते हैं, जोरो से बारिश हो रही थी, यमुना नदी तेज उफान से बह रही थी, मगर भगवान की लीला ऐसी थी की वासुदेव यमुना जी पर से चलते हुए गए, शेषनाग उनके पीछे अपने फण का छतर करके चल रहे थे, वासुदेव जी गोकुल में नन्द यशोदा के घर पहुंचते हैं और श्री कृष्ण को वहाँ छोड़, नन्द यशोदा की पुत्री को लेके वापिस कंश की कारागाह में आ जाते हैं, जब कंश को पता चला की उसकी बहन देवकी ने पुत्री को जन्म दिया है तो कंश को विश्वास नहीं हुआ, की आकशवाणी कैसे झूठी हो सकती है, तब सैनिको से पूछा की ये कैसे संभव हुआ, सैनिको ने कहा ना तो यहाँ कोई आया और ना ही यहाँ से कोई गया, फिर भी कंश ने देवकी की पुत्री को मरना चाहा, मगर वो हवा में उड़ गई, उसके बाद कंश ने कृष्ण के जन्म के 1 महीने के बिच जन्मे सारे बच्चो को मार दिया, मगर फिर भी कंश सफल नहीं हो पाया, जब कंश को पता चला की देवकी का पुत्र गोकुल में नन्द और यशोदा की छत्तर छाया में पल रहा है, तो वहाँ कृष्ण को मरने के बहुत प्रयास किये गए, मगर असफल रहे, कृष्ण बाल्य्काल से ही नटखट और शक्तिशाली थे, फिर कृष्ण मथुरा जाके मामा कंश का वध किया और अपने माता पिता सहित मथुरा वासियों को कंश के अत्याचारों से मुक्त किया, तब वहां के लोग प्रशन्न होक कृष्ण का जन्म दिवस मनाने लगे, जिसे जन्माष्टमी के नाम से त्यौहार के रूप में मनाया गया, तब से जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। 

    janmashtami

    Now the second chapter of the story begins.

    The eighth incarnation of Lord Vishnu Dashvantar is born in the form of Shri Krishna from the womb of Devaki, that day was the Ashtami date of Krishna Paksha of Bhadrapada month, midnight had passed, Vasudev’s shackles open automatically, the doors of the prison open. We go, all the soldiers of Kansh fall into deep sleep, Vasudev moves towards Gokul keeping Krishna in a basket, it was raining heavily, Yamuna river was flowing in great gusto, but God’s Leela was such that Vasudev went while walking on Yamuna ji, Sheshnag was walking behind him with a canopy of his hood, Vasudev ji reaches Nanda Yashoda’s house in Gokul and leaving Shri Krishna there, taking Nanda Yashoda’s daughter back to Kansh’s prison. They go, when Kansh came to know that his sister Devaki had given birth to a daughter, Kansh did not believe that how the Akashvani could be false, then asked the soldiers how it was possible, the soldiers said neither there is anyone here No one came nor went from here, yet Kansh wanted to kill Devaki’s daughter, but she flew into the air, after that Kansh took all the children born between 1 month after the birth of Krishna. Killed Cho, but still Kansh could not succeed, when Kansh came to know that Devaki’s son was growing up in the shadow of Nanda and Yashoda in Gokul, there were many attempts to kill Krishna, but failed. , Krishna was naughty and powerful since childhood, then Krishna went to Mathura and killed Mama Kansh and freed the people of Mathura including his parents from the atrocities of Kansh, then the people there were happy and started celebrating the birthday of Krishna, which is celebrated on Janmashtami. Celebrated as a festival by name, since then the festival of Janmashtami is celebrated.